कोरोना के सकारात्मक प्रभाव / लॉकडाउन से दिखे पर्यावरण में सुधार के संकेत, सड़को पर चहलकदमी करते दिखाई दिए वन्य जीव



कोरोनावायरस के कारण आज पूरी दुनिया भयावह मानवीय त्रासदी से गुजर रही है। वहीं इसका दूसरा पहलू भी है जो हम सभी के लिए जानना जरूरी है ताकि संकट से उबरने के बाद भी वह हमारे जेहन में बना रहे। यह पहलू है प्रकृति का। कई जगहों से खबरें आ रही हैं कि इंसानों के अपने घरों में कैद होने के बाद जंगली जानवर उन जगहों पर बेफिक्र विचरण कर रहे हैं, जो दरअसल उन्हीं की विरासत थी। 


चंडीगढ़ के सेक्टर 5 में ट्रैफिक बंदी के चलते तेंदुए दिखाई देने लगे हैं। वहीं कोझीकोड की सड़क पर में 27 मार्च को मालाबार सिवीट नाम की बिग केट दिखाई दी। मप्र के बैतूल में हाईवे पर हिरणों के झुंड के बेखौफ आराम फरमाते दिखे। मुंबई महानगर के मरीन ड्राइव पर भी समुद्र में डॉल्फिन अठखेलियां करती नजर आ रही हैं। ओडिशा के समुद्र तटों पर ओलिव रिडले कछुए चहलकदमी करते दिखाई दे रहे हैं।


वायु प्रदूषण भी कम


हवा में भी प्रदूषण कम हुआ है और ओजोन परत में सुधार के संकेत मिले हैं। वायु प्रदूषण में कमी के चलते पेड़-पौधे अब स्वच्छ हवा में सांस ले रहे हैं। कोरोना के खौफ से बेखबर इन दिनों अमलतास, महुआ और नीली गुलमोहर सब अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। अभी तो उन पर सूखी टहनियां हैं, पर मई के आते-आते अमलतास पर सुनहरे पीले रंग के बड़े-बड़े फूलों के रस भरे झाड़फानूस लगे होंगे। महुआ के गदराए रसीले फूल जमीन पर टपक रहे होंगे और वहीं नीली गुलमोहर के तुरहीनुमा फूल अपनी अनोखी छटा आकाश में बिखेर रहे होंगे। 


कोरोना के खात्मे से साफ होगी प्रकृति


उम्मीद कर सकते हैं कि एक-दो माह में जब तक देश-दुनिया में कोरोना का असर कम होगा, तब तक प्रकृति और भी ज्यादा साफ-सुथरी, खिली-खिली और अधिक महकी-महकी नजर आएगी। उम्मीद यह भी है कि मनुष्य भी कुछ सीख लेगा इन परिवर्तनों से। आशा है कि वह अपने संगी-साथियों यानी जल जंगल जमीन और पर्यावरण के अन्य अंगों के प्रति समभाव रखेगा। प्रकृति से उसे दोस्ती करनी होगी। तभी असली मायनों में बहारें लौटेंगी। 


लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव



  • 25% की कमी आई है चीन में कार्बन उत्सर्जन में सिर्फ फरवरी माह में ही। द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार यह 20 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर है।

  • 33% तक धरती की सतह पर कंपन में कमी महसूस हुई बेल्जियम में लॉकडाउन के दौरान। लॉकडाउन के दौरान दुनिया के अधिकांश हिस्सों में धरती की सतह पर कंपन कम हुआ है। 

  • 50 आ गया है हवा की गुणवत्ता का स्तर लॉकडाउन के दौरान कुछ इलाकों में 0-50 तक हवा अच्छी मानी जाती है। आम दिनों में यह स्तर 100 से 150 के बीच रहता है।

  • 1100 मामले कम आए इटली में 31 मार्च को एक दिन पहले की तुलना में। यह सख्त लॉकडाउन के कारण संभव हो सका। वहां अब मामलों में कमी आ रही है। दक्षिण कोरिया में भी लॉकडाउन के फायदे नजर आ रहे हैं।



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